कोरोना संक्रमण रोकने में असफल सरकार, बजारों की भीड़ और पटाखा फूटने का तमाशा देख रही थी

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विशेषज्ञों की चेतावनी की अवगणना कर गुजरात सरकार ने लोगों के जीवन की परवाह न करके केवल अपनी लोकप्रियता पर ध्यान केन्द्रित करती रही है। जब बाजारों में भीड़ एकत्रित हो रही थी लोग, लोग दीपावली पर बेतहासा पटाखा फोड़ रहे थे तो सरकार मूक दर्शक बन कर तमाशा देख रही थी। दीपावली के बाद ही गुजरात में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में अचानक वृद्धि हुई है। देश के अन्य राज्यों में जहाँ कोरोना संक्रमण के मामले में कमी आई है वहीं गुजरात पॉच प्रतिशत इजाफा हुआ है। दूसरी ओर निजी अस्पतालों द्वारा सामान्य लक्षण वाले कोरोना संक्रमण वाले मरीजों को अस्पताल में भर्ती कर भय के साथ अस्पतालों में बनावटी बेड की कमी दिखाने का प्रयास किया जा रहा है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार गुजरात में कोरोना संक्रमण मामले को लेकर कर केन्द्रीय टीम ने सरकार को नहीं बल्कि, लोगों की भीड़ को जिम्मेदार माना है। इस मामले में कोरोना वैरियर्स का कहना है कि जब दीपावली के अवसर पर बजारों में लोगों हुजूम उमड़ रहा था और लोग पटाखा फोड़ रहे थे तब सरकार ऑख बंद करके तमाशा देख रही थी। गुजरात विधान सभा के उप चुनाव में भी राजनीतिक पार्टियों ने सोशल डिस्टेन्सिंग के नियमों का खुलेआम उलंघन किया था।

सरकार की लोकप्रियता की चाह के कारण वर्तमान स्थिति उत्पन्न हुई है। सरकार शुरु से ही विशेषज्ञों की सलाह की अवगणना करती रही है। नव रात्रि में गरबा खेलने को लेकर चेतावनी के बावजूद सरकार ने अपनी लोकप्रियता के लिए आरती और प्रसाद बॉटने की छूट दी थी। दीपावली में फोड़े गए पटाखा से जो वायु प्रदूषण हुआ है उसका खामियीजा लोग भुगत रहे हैं।

कोरोना संक्रमण के मामले में अन्य राज्यों की बात करें तो आन्ध्र प्रदेश में 89 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 73 ,कर्नाटक में 81,केरल में 30,दिल्ली में 23,उत्तर प्रदेश में 68 तथा तमिलनाडु में कोरोना संक्रमण के मामले में 74 प्रतिशत की कमी हुई है, लेकिन गुजरात में कोरोना संक्रमण के मामले में पांच प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जब कि सरकारी आकडों द्वारा यह दावा किया जाता कि देश के कुल 11 राज्यों की तुलना में गुजरात में दैनिक स्तर पर कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या कम है। जब कि वास्तविकता यह है कि जिन राज्यों में दैनिक स्तर पर जो कोरोना संक्रमण के मामले बढे थे, वहां की सरकार स्थिति पर नियंत्रण लाने में सफल रही है।

गुजरात के लोगों में कोरोना महामारी के पुनरावर्तन का डर सता रहा है, वहीं अहमदाबाद शहर के निजी अस्पतालों में सामान्य लक्षण वाले कोरोना के मरीजों को अस्पताल में भर्ती कर बनावटी ढंग से बेड की कमी दिखाने का प्रयास किया जा रहा है। निजी अस्पताल वाले मरीजों को फोन कर घर से बुलाकर भर्ती करने का भ्रष्टाचार कर रहे हैं।

महानगर पालिका प्रशासन ने ऐसी प्रवृति पर रोक लगाने का आदेश दिया है। राज्य के मुख्य अतिरिक्त सचिव डॉक्टर राजीव कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में समीक्षा करके ऐसे अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है।

कोरोना संक्रमण के मरीज को भर्ती करने से पहले उसकी उम्र, लीवर, किडनी या अन्य संक्रमित रोग, तीन दिनों से 101F का बुखार हो, शरीर का आक्सीजन लेवल 94 से कम हो, फेफड़ों के सिवाय शरीर के अन्य भाग में तकलीफ हो या सांस लेने में तकलीफ हो ऐसे कोरोना संक्रमित मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की प्राथमिकता होगी। आगामी परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए शहर के अन्य दस अस्पतालों को कोविड19 अस्पताल के रुप में उपयोग किया जाएगा ताकि और अधिक बेड उपलब्ध हो सके।

ओमप्रकाश यादव अहमदाबाद गुजरात।

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