देश में कैंसर के मामलों में 15.7 फीसदी की हुई वृद्धि

0
दुनिया में 36 करोड़ लोग धुआं रहित तंबाकू का सेवन करते हैं। इसमें 140 देशों के लोग शामिल हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अंतगर्त काम करने वाली फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (एफसीटीसी) ग्लोबल नॉलेज हब ऑन स्मोकलैस टोबैको और
इंडियन जर्नल अॉफ मेडिकल रिसर्च (आइजेएमआर) की ओर से प्रकाशित ‘चैलेंज इन कंट्रोल ऑफ स्मोकलेस तंबाकू यूज’ की रिपोर्ट में ये बताया गया है।
यह रिपोर्ट इंडियन काउंसिल अॉफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के महानिदेशक प्रोफेसर बलराम भार्गव के द्वारा जारी की गई है। प्रोफेसर बलराम भार्गव ने बताया कि
यह विश्व की पहली स्पेशल सप्लीमेंट प्रति रिपोर्ट है, जो धुआं रहित तंबाकू के ऊपर किसी एक किसी मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुई हो। यह रिपोर्ट इंडियन जर्नल अॉफ मेडिकल रिसर्च द्वारा प्रकाशित हुई है।
ग्लोबल नॉलेज हब ऑन स्मोकलैस टोबैको (केएचएसएलटी) के मुताबिक, विश्व में चबाने वाले तंबाकू के कारण प्रतिवर्ष साढ़े 6 लाख लोगों की जान जा रही है।
इनमें से साढ़े तीन लाख लोग भारत के भी शामिल हैं। इसके साथ ही इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च अॉन कैंसर (आईएआरसी) की ताजा रिपोर्ट ग्लोबोकेन 2018 में भी कैंसर से होने वाली कुल मौतों में बढ़ोत्तरी का जिक्र किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, कैंसर से होने वाली मौत में भी करीब 12.1 फीसदी का इजाफा हुआ है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में कैंसर के नए मामलों में करीब 16 फीसदी का इजाफा हुआ है। जहां 2012 में ग्लोबोकेन के आकड़ों के मुताबिक कैंसर के करीब 10 लाख मामले सामने आए थे, वहीं
2018 में जारी हुई नई रिपोर्ट में कैंसर के 11 लाख 57 हजार 294 मामले सामने आए हैं। ऐसे में कैंसर के मामलों में 15.7 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। साथ ही रिपोर्ट में बताया गया है कि मुंह के कैंसर के मामलों में भी करीब 114.2 फीसदी का इजाफा हुआ है, जबकि सर्विकल कैंसर के मामलों में 21.2 फीसद की कमी आई है।
गौरतलब है कि डब्ल्यूएचओ ने दुनिया में एसएलटी के कुप्रभावों को देखते हुए वर्ष 2005 में फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (एफसीटीसी ) का गठन किया था। इसका मकसद तंबाकू के अवैध व्यापार को रोकना है। भारत भी इस संगठन में शामिल है।
इसका छठा सम्मेलन वर्ष 2014 में मॉस्को में स्मोकलेस टोबैको (एसएलटी) को लेकर हुआ था, जिसमें धुआं रहित तंबाकू (एसएलटी) को ग्लोबल हेल्थ प्रॉब्लम (विश्व स्तरीय स्वास्थ्य समस्या) करार दिया गया था।
वहीं, नोएडा के सेक्टर-39 स्थित एनआइसीपीआर में ग्लोबल नॉलेज हब ऑन स्मोकलैस टोबैको की स्थापना की गई।
तब से यह संस्थान पूरी दुनिया को तंबाकू के कुप्रभावों व पूरी दुनिया में इस पर हुए रिसर्च एवं इलाज के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहा है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, दुनिया के 140 देश एसएलटी के कुप्रभावों से पीड़ित हैं।
प्रोफेसर रवि मेहरोत्रा (निदेशक, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च) का कहना है कि भारत में कैंसर के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है।
जहां ग्लोबोकेन की 2012 की रिपोर्ट में कैंसर के 10 लाख मामले सामने आए थे। वहीं 2018 की नई रिपोर्ट में करीब साढ़े ग्यारह लाख कैंसर के मामले सामने आए है।
यह भी पढ़ें: उत्तर प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों में 14 लाख से ज्यादा बच्चे फर्जी
ऐसे में कैंसर के मामलों में करीब 16 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है।

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More