कृषि मंत्रालय ने नोटबंदी को किसानों के लिए बताया बुरा फैसला, टूटी किसानों की कमर

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अब कृषि मंत्रालय ने भी देश में अचानक बड़ी नोटें बैन कर देने को हानिकारक मान लिया है। वित्त मंत्रालय से जुड़ी पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी को सौंपी गई रिपोर्ट में कृषि मंत्रालय ने नोटबंदी को किसानों के लिए बुरा फैसला बताया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवंबर की रात अचानक की गई नोटबंदी को दो साल हो चुके हैं। लेकिन इसकी चर्चा अभी भी होती रहती है। सरकार इसके फायदे गिनाने में देर नहीं लगाती। वहीं, विपक्ष इससे हुए नुकसान की लिस्ट बनाए सबके सामने रख देता है।
बीते दिन ही पीएम मोदी ने एक बार फिर अपने नोटबैन करने के फैसले की तारीफ की थी। चुनाव के मद्देनजर मध्यप्रदेश के झबुआ में पीएम मोदी ने एक सभा को सबोधित करते हुए कहा था कि,
‘देश से भ्रष्टाचार के दीमक को साफ करने और बैंकिंग सिस्टम में पैसा वापस लाने के लिये नोटबंदी जैसी कड़वी दवा का उपयोग करना जरुरी था।’ मोदी के दिए रैली में इस भाषण के दिन ही मंत्रायल ने अपनी रिपोर्ट सबमिट की है।
समिटी के अध्यक्षता कर रहे कांग्रेस के सांसद वीरप्पा मोइली को नोटबंदी की इस रिपोर्ट के बारे में विस्तार से बताया गया। कृषि मंत्रालय ने माना है कि, नोट बैन के बाद अचानक नकदी की भारी कमी हो गई। इसकी वजह से किसान बीज-खाद नहीं खरीद सके।
रबी और खरीफ के बीज खरीदने के लिए कैश की जरूरत होती है, जो नोटबंदी के कारण पूरी नहीं हो सकी। जिससे अन्नदाताओं की कमर बुरी तरह टूट गई। नोटबंदी के असर पर एक रिपोर्ट भी कृषि मंत्रालय ने संसदीय समिति को सौंपी है।
वहीं, कृषि मंत्रालय ने यह भी माना है कि कैश की कमी के चलते राष्ट्रीय बीज निगम के करीब 1लाख 68 हजार क्विंटल गेंहूं के बीज बिक ही नहीं सके। हालांकि स्थिति बिगड़ती देख सरकार ने बीज खरीदने के लिए पुराने नोटों के इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी थी।
लेकिन रिपोर्ट में यह भी माना गया है कि सरकार की इस राहत के बाद भी सरकारी बीज की बिक्री में तेजी नहीं आ पाई।
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वहीं, श्रम मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी में बताया गया है कि, नोटबैन के बाद की तिमाही में रोजगार के आंकड़ों में तेजी दिखी थी।

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