पान मसाले में कत्थे की जगह, इस्तेमाल हो रहा है खतरनाक केमिकल ‘गैम्बियर’
यूपी,। गैम्बियर खतरनाक रसायन होता है। इसका इस्तेमाल चमड़े को रंगने में किया जाता है। इसके सेवन से गुर्दे-लिवर खराब होने के साथ-साथ कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।
खाद्य सुरक्षा विभाग ने गैम्बियर केमिकल की बिक्री पर रोक लगा दी है। वहीं, अमेरिका के जॉन होप्किंस हॉस्पिटल ने भी गैम्बियर केमिकल को कैंसर का कारण बनने वाला पदार्थ बताया है।
उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में पान मसाले के दो नामी ब्रांड राजश्री और केसर के नमूनों की जांच में गैम्बियर मिलाने की पुष्टि हुई है। इसे कत्थे की जगह इस्तेमाल किया जा रहा है।
पान मसाले में कैंसर का कारण बनने वाले जिस गैम्बियर रसायन की बात सामने आई है, वह इंडोनेशिया और मलेशिया में पाए जाने वाले झाड़ीनुमा पेड़ (यूनकेरिया कटेच्यू) से तैयार किया जाता है।
यह 19वीं शताब्दी में व्यापार का अहम हिस्सा बना। इसका इस्तेमाल डाई करने, चीजों को रंग देने और हर्बल दवाएं बनाने में किया जाता है। इस पेड़ को पेल कटेच्यू या व्हाइट कटेच्यू के नाम से भी जाना जाता है।
रंग तैयार करने के लिए इस पौधे की पत्तियों को पानी में उबालते हैं, जिसके बाद पानी का रंग भूरा हो जाता है। इस पानी को छोटे-छोटे क्यूब में रखकर धूप में सुखाते हैं। गंधरहित गैम्बियर व्हाइट कटेच्यू पत्तियों की मदद से चीजों को पीले से लेकर भूरा रंग तक दिया जा सकता है।
कानपुर का जेके कैंसर हॉस्पिटल पान मसालों में मौजूद खतरनाक रसायन गैम्बियर की बढ़ती मात्रा को लेकर रिसर्च कर रहा है। हॉस्पिटल ने कुछ नामी ब्रांड के पान मसालों को अमेरिका के जॉन होप्किंस हॉस्पिटल जांच के लिए भेजा था।
रिपोर्ट में सामने आया कि सभी सैंपल्स में कैंसर का कारण बनने वाला गैम्बियर खतरनाक मात्रा में पाया गया। इसे मलेशिया से आयात किया जा रहा है। हालांकि, कैंसर विशेषज्ञ कई बार सरकार से इस केमिकल पर बैन लगाने के लिए आग्रह कर चुके हैं।
पान मसाला बनाने वाली कई कंपनियां कह रही हैं कि वे गैम्बियर के विकल्प के तौर पर खैर कत्था (भारतीय कत्था) का इस्तेमाल कर रही हैं। उनका दावा है कि खैर कत्था नुकसान नहीं पहुंचाता है, लेकिन कैंसर विशेषज्ञ उनकी इस बात से सहमत नहीं हैं।
भारतीय कत्था खैर नाम के पौधे की लकड़ी से तैयार होता है, जिसकी पैदावार उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और नेपाल के जंगलों में होती है।
द इंडियन फॉरेस्टर जर्नल में फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट, देहरादून के प्रोफेसर पीएल सोनी ने लिखा है कि गैम्बियर और कत्थे में काफी समानताएं हैं। गैम्बियर में कई तरह ही भारी धातुएं पाई जाती हैं।
सुपारी भी बनती है कैंसर और दांतों-जबड़ों की बीमारी का कारण
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पान मसाला सिर्फ रंग से ही नहीं स्वाद और खुशबू से भी खाने वालों को आकर्षित करता है।
रंग देने वाले केमिकल गैम्बियर के अलावा स्वाद के लिए इस्तेमाल होने वाली सुपारी भी कैंसर का कारण बनने के लिए जिम्मेदार है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसकी पुष्टि भी की है।
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पान मसाले में रंग, स्वाद और खुशबू के लिए बीटल नट (सुपारी), लाइम, इलायची, मेंथॉल और कई तरह रसायनयुक्त फ्लेवर को शामिल किया जा रहा है। सबसे ज्यादा खतरनाक बीटल नट है।
इसे आम भाषा में सुपारी कहते हैं। डब्ल्यूएचओ ने सुपारी को कैंसर का कारण बनने वाले पदार्थ के रूप में क्लासीफाइड किया है, जिसका मुंह और गले के कैंसर से सीधा संबंध है।
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जर्नल ऑफ द अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन की रिपोर्ट के अनुसार सुपारी खाने वालों में सबम्यूकस फाइब्रोसिस का खतरा बढ़ जाता है, जो जबड़े के मूवमेंट को रोकने और
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मुंह में अकड़न का कारण बनता है। लंबे समय तक सुपारी के इस्तेमाल से दांतों का रंग बदल जाता है। साथ ही, दांत कमजोर भी हो जाते हैं।
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अमेरिकन सोसायटी फॉर क्लीनिकल न्यूट्रिशन के मुताबिक, एक रिसर्च में सुपारी और हृदय रोग, मेटाबॉलिक सिंड्रोम व मोटापे के बीच संबंध पाया गया है।