केंद्र पहुंचा अनिल अंबानी की कंपनी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट, मांगे बैंक गारंटी के 2940 करोड़ रुपये

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केंद्र सरकार ने रिलायंस कम्यूनिकेशन से स्पेक्ट्रम की बकाया रकम के संबंध में बैंक गारंटी की मांग की है। केंद्र की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल पीएस नरसिम्हा ने कोर्ट को बताया कि वह बकाए के संबंध में किसी किस्म की सुरक्षा चाहते हैं।
वहीं रिलायंस कम्यूनिकेशन लिमिटेड की तरफ से कोर्ट में पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि कंपनी पैसे चुकाने की स्थिति में नहीं है। सिब्बल ने कहा,”मैं बैंक गारंटी नहीं दे सकता। बैंक सुरक्षित कर्जदाता होते हैं। अगर कोई भी खतरा होता है तो डील संकट में पड़ जाएगी।”
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार (26 नवंबर, 2018) को अनिल अंबानी नीत रिलायंस कम्यूनिकेशन के स्पेक्ट्रम बकाए की 2,940 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी के संबंध में केंद्र सरकार की याचिका को सुनवाई के लिए मंजूरी दे दी है। ये मामला जस्टिस एके सीकरी की बेंच के सामने पेश किया गया था। उन्होंने इस मामले की सुनवाई के लिए कल (27 नवंबर, 2018) का दिन मुकर्रर किया है।
एक अक्टूबर को, टेलीकॉम ट्रिब्यूनल ने कर्जदार आरकॉम को अनुमति दे दी कि वह अपने स्पेकट्रम को रिलायंस जियो इन्फोकॉम को बेच सकती है। लेकिन टेलीकॉम विभाग ने आरकॉम से स्पेक्ट्रम को इस्तेमाल करने की बकाया रकम की मांग की।
यही नहीं बकाया रकम के संबंध में टेलीकॉम विभाग ने बैंक गारंटी की भी मांग की। अनिल अंबानी नीत आरकॉम ने टेलीकॉम विभाग के द्वारा बकाया रकम के संबंध में मांगी गई बैंक गारंटी को अन्यायपूर्ण बताकर चुनौती दी है।
हालांकि इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने आरकॉम को टेलीकॉम उपकरण निर्माता एरिक्सन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की बकाया 550 करोड़ रुपये की रकम चुकाने के लिए 15 दिसंबर तक का वक्त दे दिया है। चूंकि रकम चुकाने में देरी होने पर 12 प्रतिशत सालाना की दर से ब्याज लगना शुरू हो जाएगा।
सर्वोच्च न्यायालय का ये फैसला एरिक्सन इंडिया द्वारा दाखिल की गई अवमानना याचिका के संबंध में आया है। एरिक्सन ने कोर्ट को बताया था कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित की गई 30 सितंबर की अंतिम तिथि तक आरकॉम ने 550 करोड़ रुपये की बकाया पेमेंट उसे नहीं की है।
बता दें कि दिसंबर 2017 में, कर्ज के निपटारे की योजना के तहत, अनिल अंबानी नीत आरकॉम ने बड़े भाई मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो के साथ 25 हजार करोड़ रुपये की डील की थी। इस डील के तहत आरकॉम की विभिन्न बैंकों के पास गिरवी रखी गई संप​त्तियों को बेच दिया गया था। ये डील दिवालिया घोषित करने की कार्यवाही से बचने के लिए की गई थी।
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बैंक गारंटी असल में बैंक द्वारा कर्जदार की तरफ से दी जाने वाली गारंटी है। बैंक गारंटी के जरिए बैंक लेनदार को इस बात का भरोसा देता है कि अगर कर्ज लेने वाली कंपनी या शख्स इस रकम को तय वक्त में नहीं चुका सका तो सौदे की शर्तों के मुताबिक बैंक उस रकम को चुकाएगा।

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