अनिल अंबानी ने साल 2017 में रिलायंस कम्यूनिकेशन की संपत्तियों को रिलायंस जियो को बेचने का फैसला किया था। इन संपत्तियों में टावर, स्पेक्ट्रम और फाइबर संपत्तियां शामिल थीं। अनिल अंबानी ने संपत्ति बिक्री का फैसला दिवालिएपन की कार्रवाई से बचने के लिए किया था।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार रफाल फाइटर जेट की डील में घोटाले के आशंका जता रहे हैं। इस मामले में वह पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार पर कारोबारी अनिल अंबानी को मुनाफा पहुंचाने का आरोप लगा रहे हैं। लेकिन उनकी ही पार्टी के वरिष्ठ नेता और
राज्य सभा सांसद कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में अनिल अंबानी के वकील के तौर पेश हुए हैं। ये मामला अनिल अंबानी के मालिकान वाली कंपनी रिलायंस कम्यूनिकेशन (आरकॉम) द्वारा अपनी संपत्तियां बड़े भाई मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो को बेचने से जुड़ा हुआ है।
रफाल डील में आरोपों का सामना कर रहे अनिल अंबानी के वकील के तौर सिब्बल के उतरने से कांग्रेस में खलबली है। लेकिन कांग्रेस इसे उनका व्यक्तिगत मामला बता रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा,” आपको वकालत को राजनीति से अलग रखना चाहिए। जब भी हम कोर्ट में पेश होते हैं तो हम कांग्रेस पार्टी के सदस्य के तौर पर पेश नहीं होते हैं। बल्कि हम कोर्ट के अफसर के तौर पर पेश होते हैं।”
वहीं इस मामले पर सिब्बल के हवाले से ‘द प्रिंट’ ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। बातचीत में सिब्बल में उनसे कहा कि वह हमेशा रफाल डील की निंदा करते हैं। उनका और उनकी पार्टी का इस मामले पर रुख बिल्कुल स्पष्ट है। सिब्बल ने कहा,” मैंने खुद रफाल डील की कई बार निंदा की है। मैं खुद इस डील की सारी जानकारियां लेकर प्रेस के बीच गया था।
मैं रफाल डील के मामले में अनिल अंबानी का बचाव नहीं कर रहा हूं और न ही कभी करूंगा। जिस मामले का आप जिक्र कर रहे हैं वह अनिल अंबानी और दूरसंचार विभाग के बीच का विवाद है। तो दोहरे मानक अपनाने का सवाल कहां उठता है? मैंने रफाल डील पर सवाल उठाए हैं और आगे भी उठाता रहूंगा।”
सिब्बल के बयान से उलट कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भाजपा नीत नरेंद्र मोदी सरकार पर रफाल डील में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते रहे हैं। उन्होंने मोदी सरकार पर अनिल अंबानी की कंपनी को गलत तरीके से लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया है। राहुल गांधी ने पीएम मोदी को भ्रष्टाचारी तक बताया है।राहुल ने पीएम पर आरोप लगाया था कि उन्होंने कहा था कि
वह देश के चौकीदार बनेंगे लेकिन वह सिर्फ अनिल अंबानी के ही चौकीदार बनकर रह गए। राहुल अक्सर रफाल डील को खुला मामला बताते हैं। उनका आरोप है कि ये डील मोदी और अनिल अंबानी की साझेदारी का परिणाम है। कांग्रेस ने इस मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय कमिटी गठित करने की मांग की है।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार (26 नवंबर, 2018) को अनिल अंबानी नीत रिलायंस कम्यूनिकेशन के स्पेक्ट्रम बकाए की 2,940 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी के संबंध में केंद्र सरकार की याचिका को सुनवाई के लिए मंजूरी दे दी । ये मामला जस्टिस एके सीकरी की बेंच के सामने पेश किया गया था।
केंद्र सरकार ने रिलायंस कम्यूनिकेशन से स्पेक्ट्रम की बकाया रकम के संबंध में बैंक गारंटी की मांग की है। केंद्र की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल पीएस नरसिम्हा ने कोर्ट को बताया कि वह बकाए के संबंध में किसी किस्म की सुरक्षा चाहते हैं।
वहीं रिलायंस कम्यूनिकेशन लिमिटेड की तरफ से कोर्ट में पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि कंपनी पैसे चुकाने की स्थिति में नहीं है। सिब्बल ने कहा,”मैं बैंक गारंटी नहीं दे सकता। बैंक सुरक्षित कर्जदाता होते हैं। अगर कोई भी खतरा होता है तो डील संकट में पड़ जाएगी।”
एक अक्टूबर को, टेलीकॉम ट्रिब्यूनल ने कर्जदार आरकॉम को अनुमति दे दी कि वह अपने स्पेकट्रम को रिलायंस जियो इन्फोकॉम को बेच सकती है। लेकिन टेलीकॉम विभाग ने आरकॉम से स्पेक्ट्रम को इस्तेमाल करने की बकाया रकम की मांग की।
यही नहीं बकाया रकम के संबंध में टेलीकॉम विभाग ने बैंक गारंटी की भी मांग की। अनिल अंबानी नीत आरकॉम ने टेलीकॉम विभाग के द्वारा बकाया रकम के संबंध में मांगी गई बैंक गारंटी को अन्यायपूर्ण बताकर चुनौती दी है।
बता दें कि दिसंबर 2017 में, कर्ज के निपटारे की योजना के तहत, अनिल अंबानी नीत आरकॉम ने बड़े भाई मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो के साथ 25 हजार करोड़ रुपये की डील की थी। इस डील के तहत आरकॉम की विभिन्न बैंकों के पास गिरवी रखी गई संपत्तियों को बेच दिया गया था। ये डील दिवालिया घोषित करने की कार्यवाही से बचने के लिए की गई थी।
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