भीमा कोरेगांव हिंसा के बाद दर्ज हुए 655 केस में से 63 को छोड़, बाकी सारे केस वापस लेगी महाराष्ट्र सरकार

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मुंबई। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को विधानसभा में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 63 केस गंभीर हैं, इसलिए इन्हें वापस नहीं लिए जाएंगे।
इसी तरह मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज 543 मामलों में से 46 को छोड़कर बाकी सभी केस वापस ले लिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि 46 केस ऐसे हैं, जिनमें पुलिस वालों पर हमले हुए हैं और घटना के वीडियो मौजूद हैं।
भीमा कोरेगांव हिंसा को लेकर दर्ज 655 मामलों में से 63 को छोड़कर बाकी सभी केस वापस ले लिए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भीमा कोरेगांव हिंसा की प्रतिक्रिया के चलते हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान 655 केस दर्ज हुए थे, इनमें से 159 वापस ले लिए गए हैं। 275 मामलों में आरोप-पत्र दाखिल हो गया है,
उन्हें भी वापस लेने के निर्देश दिए गए हैं। 158 मामलों की अभी जांच चल रही है। आरोप-पत्र दाखिल होने के बाद इन्हें भी वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
63 मामलों में होगी कार्रवाई : 63 मामलों में सरकार दोषियों पर कार्रवाई करेगी, क्योंकि पुलिसकर्मियों पर हमलों के इन मामलों में सबूत हैं। इसी तरह मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज 66 केस वापस लेने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
117 मामलों को वापस लेने के लिए कोर्ट में अर्जी दे दी गई है। 314 मामलों में चार्जशीट दाखिल होने के बाद वापस लिए जाएंगे लेकिन पुलिस वालों पर हमले के 46 केस वापस नहीं लिए जाएंगे।
मराठा आरक्षण की मांग के दौरान आत्महत्या करने वाले 42 युवकों के परिवारों को आर्थिक मदद देने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसा संकेत नहीं जाना चाहिए कि
आत्महत्या करने वालों की मांगें मानी जाती हैं और उनके पीछे सरकार खड़ी रहती है। उन्होंने कहा कि सरकार आत्महत्या करने वाले युवकों के परिवारों को निश्चित रूप से आर्थिक सहायता देगी।
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एनसीपी के अजित पवार, विधानसभा में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे पाटील ने आत्महत्या करने वाले युवकों के परिवारों को 15-15 लाख रुपए देने की मांग की थी।

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