बिहार पुलिस ने अंग्रेजी में कोर्ट आर्डर को समझा अरेस्ट वारंट, बिजनेसमैन को उठाकर जेल में ठूंस दिया

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बिहार. यह मामला एक तलाक केस से जुड़ा हुआ है। जिसमें पति को हर महीने पत्नी को गुजारा भत्ता देना था। लेकिन, कई महीनों से जहानाबाद जिला के नीरज कुमार अपनी पत्नी को 2,500 रुपये गुजारा भत्ता नहीं दे रहे थे।
कोर्ट ने नीरज के प्रॉपर्टी की जांच के लिए एक वारंट जारी किया। जिसके तहत उनके आय के श्रोत की जानकारी लेनी थी। लेकिन, इस वारंट को पुलिस ने अरेस्ट वारंट समझ उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
बिहार में पुलिस वालों की ख़राब अंग्रेजी का खामियाजा एक बिजनेसमैन को भुगतना पड़ा। पत्नी के साथ तलाक का केस लड़ रहे व्यापारी को पूरी रात लॉकअप में गुजारनी पड़ी।
हालांकि, जैसे ही अदालत में मामला पहुंचा, गलती की जानकारी मिली और व्यापारी को छोड़ना पड़ा। दरअसल, पुलिस ने कोर्ट ऑर्डर में लिखे ‘वारंट’ को अरेस्ट वारंट समझ लिया।
25 नवंबर को गिरफ्तार नीरज कुमार को पटना स्थित कोर्ट में पेश किया गया। जहां पर अदालत ने पुलिस की गलती को भांप लिया और तुरंत रिहाई के आदेश दिए। मामले में जहानाबाद के एएसपी पंकज कुमार ने माना कि
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डॉक्यूमेंट में कहीं भी नीरज को गिरफ्तार करने का निर्देश नहीं था। कोर्ट ने नीरज की अचल संपत्ति की जानकारी लेने के लिए निर्देश जारी किए थे।

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