खुले में स्‍तनपान पर नौ महीने का बच्‍चा पहुंचा हाई कोर्ट, बन सकता है कानून

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अवयान की वकील मां नेहा रस्तोगी ने एक समाचार पत्र को बताया, ‘दिसंबर, 2017 की बात थी, जब अवयान महज दो साल का था और मुझे उसके साथ विमान से बेंगलुरु जाना पड़ा। दिल्ली-बेंगलुरु फ्लाइट अपना सफर पूरा करने में करीब तीन घंटे का समय लेती है।’
रस्तोगी ने बताया कि विमान में अवयान को फीडिंग की जरुरत थी। मगर तब ना तो मुझे कोई एकांत जगह मिली और ना ही ऐसी कोई जगह मिली में शिशु की फीडिंग करा सकूं। मदद मांगने का भी कोई असर ना हुआ। एक मां के रूप में बेटे के लिए कुछ ना कर पाना और भी पीड़ादायक था।
नौ माह के शिशु ने अपने वकील माता-पिता के जरिए दिल्ली हाई कोर्ट में पीआईएल दाखिल की, जिसमें सार्वजनिक स्थान पर उसे ब्रेस फीडिंग की अनुमति देने की मांग की गई। संभव है कि केंद्र इसपर कोई एक्ट बना दे। दरअसल अवयान की याचिका पर 13 फरवरी को हाई कोर्ट में सुनवाई होगी। केंद्र से इस संबंध में उठाए गए कदमों पर विस्तृत उत्तर देने की उम्मीद है।
अपने साथ हुई इस दुर्घटना के बाद इसके निवारण के लिए नेहा ने पति अनिमेश संग कोर्ट जाने का निर्णय लिया। उन्होंने जुलाई, 2018 में याचिका दाखिल की। मामले की अगली सुनवाई हाई कोर्ट में 13 फरवरी को होगी। इस मामले में पति अनिमेश कहते हैं, ‘निजता के अधिकार और जीने के अधिकार हमारे मूल अधिकार हैं।
इनसे हम अपने बच्चों को सिर्फ इसलिए इनकार नहीं कर सकते क्योंकि वो असहाय हैं। इसकी वैधताओं से अधिक यह हमारी मानसिकता का भी सवाल है। उदाहरण के लिए नई दिल्ली नगर निगम ने अपने एक जवाब में हाई कोर्ट बताया कि निगम बाथरूम के बराबर में बेबी चेंजिंग रूम बना रहा है।
मगर मेरा सीधा सवाल है। क्या आप अपने बाथरूम के बराबर में भोजन करना पसंद करोगे? तो आप बच्चों से ऐसा करने के लिए क्यों कहते हैं? मेरा इसमें भी विरोध है। दिल्ली हाईकोर्ट इस मुद्दे पर बेहद संवेदनशील रहा है।’
वहीं नेहा कहा तर्क है, ‘सार्वजनिक स्थलों पर ध्रुमपान के लिए कमरे तो बना सकते हैं मगर हमारे पास अभी तक ऐसे कमरे नहीं हैं जहां शिशु को फीडिंग कराई जा सके। उनके पास भी वहीं कानूनी सुरक्षा क्यों ना हो?’
बता दें कि जैसे ही कोई शिशु जन्म लेते है उसके पैदा होते ही उसे वो सारे अधिकार हासिल हो जाते हैं जो एक बालिग के होते हैं। हालांकि किसी याचिका पर हस्ताक्षर करने के लिए उम्र कम से कम 18 साल की होनी चाहिए।
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ऐसे  में अगर कोई नाबालिग बच्चा कोर्ट में याचिका दाखिल कर रहा तो उसके माता-पिता उसके नाम पर आवेदन कर सकते हैं।

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