मैत्रीबिहू विवाह से विवाह बिहू शिक्षा तक

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मैत्रीबिहू विवाह से विवाह बिहू शिक्षा तक भारतीय समाज पर अत्यंत ही गतिशील है। यहां की राजनीतिक दूरदर्शिता जगत प्रसिद्ध है । प्राचीन काल में एक प्रकार के राजनीतिक विवाह का इस प्रकार वर्णन आता है।
कुंती का स्वयंवर जीतने के बाद महाराज पांडु यह कह कर के घर से निकलते हैं।
राजा की दो रानियां होती हैं एक पटरानी और दूसरी सीमा और अपने राज्य की सीमा के तरफ निकलते हुए पांडु को माद्री का भाई दिखाई पड़ता है जिसकी सारथी स्वयं माद्री बनी होती है।
दोनों लोगों में युद्ध के बजाय मित्रता की संधि होती है और मित्रता के सबूत स्वरुप माद्री को महाराजा पांडु की पत्नी बनना होता है। या आधुनिक इतिहास में चंद्रगुप्त मौर्य और सेल्यूकस के बीच युद्ध के पश्चात सेल्यूकस ने अपने कन्या का विवाह चंद्र गुप्त मौर्य से किया था।
हम इतिहास की गाथा गाने यहां नहीं आए हैं। लेकिन इस प्रकार के ही विवाह को मैत्री बिहू विवाह कहा जाता था। इन विवाहों का उद्देश्य दो राजाओं के बीच में आपसी मित्रता पैदा करना होता था। इसीलिए तो शकुनी दुर्योधन से कहा करते थे दुर्योधन विवाह करो विवाह तुमने ऐसा सुना होगा कि प्राचीन काल में राजाओं के महल रानियों से भरे पड़े होते हैं।
हां लेकिन ऐसा किसी भोग विलास के लिए ही नहीं होता था जो घराना कन्या देगा वह दुश्मनी भी कभी नहीं मोलेगा । अब तो मैत्री बिहू विवाह के आपको स्पष्ट हो गया होगा।
परिभाषा:- वह विवाह जिसमें वर वधू की इच्छा से ज्यादा दो राज्यों की इच्छाएं इकट्ठी होती है। उसे मैत्री बिहू विवाह कहते हैं।
वैसे लालू यादव और मुलायम यादव के बीच की रिश्तेदारी को भी इसी में जोड़ सकते हैं।
आधुनिक रूप में लालू पुत्र नए प्रसिद्ध कृष्ण और चंद्रिका राय की पुत्री के विवाह को भी आप मैत्री बिहू विवाह मान सकते है
अब आइए विवाह बिहू शिक्षा की तरफ चलते हैं।
आधुनिकीकरण के इस दौर में हर कोई पढ़ा-लिखा होशियार समझदार है। उसे भले राणा सांगा के साथ पीढ़ियों का इतिहास नहीं मालूम हो लेकिन इतना अवश्य मालूम है की विवाह जीवन की मुख्य आवश्यकता है। जीवन की इस मुख्य आवश्यकता को पूरा करने के लिए कोई मुख्य व्यक्ति भी आवश्यक है।
हमारे पुराणों में कहा गया है लक्ष्मी का वाहन उल्लू होता है । यह बात सही है लेकिन भारतीय समाज उल्लू का अर्थ बेवकूफी लगा रहा है और
आधुनिकीकरण के इस दौर में भौतिक वादियों का एक ही उद्देश्य होता है। लक्ष्मी लक्ष्मी लक्ष्मी लक्ष्मी चाहिए किधर से भी चाहिए। देवी लक्ष्मी को आसानी से बुलाने का एक ही ट्रिक है। उनके वाहन को बुलाइए । लेकिन सही के पक्षी पर तो सही की देवी सवार होती होगी ना। भगवान विष्णु की प्रिया समस्त चराचर की स्वामी समस्त तेजों से युक्त अगर सूरज स्वरूप तेजस्विनी लक्ष्मी के दर्शन हो ही गए तो। नहीं नहीं बाबा , पूरा शरीर जलकर भस्म होने का भी खतरा है।
अब क्या करेंगे कैसे करेंगे लक्ष्मी जी की आवश्यकता भी है । हमें दोनों रूपों में लक्ष्मी चाहिए होती है। एक तो प्रकट रूप में जिसे अर्धांगिनी कहा जाता है और नगद रूप में जिसे मुद्रा कहा जाता है।
अगर कोई ट्रिक लगाकर दोनों एक साथ आ जाए तब तो पूछना ही क्या है ।
अब लक्ष्मी जी को लाना है उनकी आराधना अत्यंत कठिन है और उनके पास तेज भी अपार है । इसलिए हम उनकी आराधना करने या उनके बाहन को बुलाने में ना तो समय ही नष्ट करेंगे नहीं हमारी ताकत है।
अब क्या करेंगे? हमेशा की तरह दिमाग चलाएंगे? क्या? अरे भाई किसी को लक्ष्मी का वाहन बनाएंगे अर्थात उल्लू।
वैसे ठगी के लिए अत्यंत ऊंची प्रतिभा की आवश्यकता होती है। और बार-बार अपना तरीका भी बदलना पड़ता है फिर भी भारत में दो सबसे प्रचलित तरीके हैं जिनके द्वारा बिना किसी रिस्क के आसानी से पता नहीं कब से लेकर आज तक लोगों को मूर्ख बनाया जाता रहा है। और बनाया जाता रहेगा।
इसमें से एक तरीका जिसका हम वर्णन करने जा रहे हैं उसे कहते हैं विवाह विहू शिक्षा।
परिभाषा:- वह सभी प्रकार की वास्तविक और काल्पनिक शिक्षा ( डिग्री डिप्लोमा डॉ रेट मास्टर एप्स नौकरी चाकरी वेशभूषा ) या शैक्षिक प्रतिफल जिनका उद्देश्य केवल मोटा दहेज लेकर विवाह कराना होता है विवाह बिहू शिक्षा कहलाती है
रामायण में एक प्रसंग आता है
रावण कहता है
भूमि परत कर गहत अकासा।लघु तापस कर वाक बिलासा।।
वहाँ तो गलत था लेकिन यहां यह समस्या पग पग पर सही रूप से मुंह बाए खड़ी है। भोजपुरी के प्रसिद्ध गायक मनोज तिवारी ने एक गाना गाया था।
जाइँ देखि आईं रउरे कइसन बा पोजीशन कम्पटीशन देता। एमे में लेके एडमिशन,,,
एक उच्च शिक्षा प्रणाली को छोड़कर भारत की 95 से 98% नौकरी b.a. पढ़ते पढ़ते हो सकती है अब m.a. में एडमिशन लेने का अर्थ है क्या होता है। या तो बच्चा कंपटीशन देने लायक है ही नहीं या अपने बेरोजगारी को दूर करने के लिए कसरत कर रहा है। भारत के सबसे टैलेंटेड बच्चे हाई स्कूल पढ़ने के बाद अपनी शाखाएं नौकरी के लिए चुन लेते हैं और
इंटरमीडिएट के बाद तो नौकरी मिलने का सिलसिला सा ही शुरू हो जाता है इंजीनियरिंग मेडिकल भारतीय रक्षा अकादमी अन्य प्रकार की अनेकानेक नौकरिया इंटरमीडिएट के बाद से ही अभ्यार्थियों को दिल खोलकर बुलाने लगती है। बच्चे के बैचलर होते होते आई एस पी सी एस और इत्यादि नौकरियां उसके स्वागत के लिए तैयार है। लेकिन एक शर्त है भारत में तैयारी करने वालों की संख्या कमोबेश 50 करोड़ के आसपास है और
हमें नहीं लगता है कि भारत सरकार के पास कोई एक करोड़ नौकरी भी है। तब यह गैप और बढ़ जाता है जब 18 वर्ष से 38 वर्ष के बीच 20 साल की उम्र कंपटीशन देने की होती है जब की नौकरी करने वाला 18 साल से 7 साल तक तो नौकरी, अर्थात 42 साल नौकरी करता है। अर्थात सरकारी नौकरी किसी 100 आदमी में से एक आदमी की ही लगेगी ।
बाकि आदमी को प्राइवेट नौकरी ही नसीब हो सकती है। हाँ एक बात और कहना चाहता हूँ । प्राइवेट नौकरी में भी भेड़ और गड़ेरिए अनुपात होता है। अगर प्राइवेट कंपनी वाला केवल गडरिया ही रखेगा तो उसका काम नहीं चल सकता है। अर्थात लेबर के साथ कुछ ही लोग ऊँचे पद पर नौकरी पा सकते हैं।
लेकिन हमें बालेश्वर यादव का वह गाना भी याद आ रहा है।
बिकाई ए बाबू बी ए पास घोड़ा,,,
हां बालेश्वर जी सारे b.a. पास घोड़े बिकने को तैयार है लेकिन अपनी शर्त पर?
लड़के को ऐश्वर्या राय जैसी लड़की चाहिए। लड़के के बाप को अंबानी की संपत्ति से ज्यादा दहेज देने वाला लड़की का पिता चाहिए। परिवार तो ऐसा होना चाहिए जैसे वो दुनिया का एक आदर्श उदाहरण हो। अरे भाई इसके लिए अपना भी तो कद होना चाहिए । अब लड़के को पिताजी ने हाई स्कूल में नकल नकल करके पास करा दिया। इंटरमीडिएट में भी यही दशा रही।
लड़का भी b.a. में गया अनेक कंपटीशन दिया अनेक जगह गया पढ़ने में कुछ आता नहीं नौकरी मिलना आसान नहीं मजदूरी कर ही नहीं सकता है। बेरोजगारी का समय चल रहा है। लेकिन समाज और बिरादरी को बताने से क्या होगा। कोई अगुआ लड़के की शादी कराने के लिए भी नहीं आएगा। यह सच्चाई छुपा ना ही अच्छा है। नहीं तो नाक कट जाएगी।
फलाने बाबू का बेटा है इतनी इज्जत दार घराने का बताइए बारात में हजार लोग जाएंगे लोग देखने आएंगे कि बाबू जी ने लड़के की शादी कैसे किया। हंसी हो जाएगी कोई दहेज फला बाबू के लड़के को नहीं मिला। इतना बड़ा रुपया पैसा किस काम आएगा। आज के लड़की वालों पर भी अजीब सा पागलपन सवार होता है भाई। वह तो लड़के की नौकरी ही देखते हैं। चलो बोल देते हैं लड़का क्या कर रहा है। अच्छा खासा दहेज और परिवार भी मिल जाएगा।
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हमारी इतनी बड़ी संपत्ति है कि दो 4 साल तो पता ही नहीं चलेगा लड़की को । क्या करता है उसका पति? ऐसा मन में सोच कर हर b.a. पास घोड़े का मालिक अपने अपने घोड़े का अपना अपना अलग-अलग दरबार बताने लगता है। कोई बताता है हमारा लड़का दुबई में इंजीनियर है। कोई बताता है हमारा लड़का मुंबई में कंपनी चला रहा है। कोई बताता है हमारे लड़के का पिछले साल मिंस भी निकल गया था लेकिन इंटरव्यू से आईएस मेसे बाहर हो गया। इस बार तो नहीं ही चुकेगा।
यह सब बातें अनपढ़ से लेकर पढ़े-लिखे इज्जतदार समझदार सभी लोगों के बीच होती है। अगर इनकी किस्मत खुली अर्थात पोल नहीं खुली तो किसी न किसी सीधी साधी लड़की का पिता खेत बारी बेच कर या गाढ़ी कमाई खर्च करके इनके झांसे में जरूर पड़ जाता है।
भाई दुखी ना होइए यह तो ट्रेड है चल गया तो बल्ले बल्ले नहीं तो,,,
क्या हो जाएगा लड़के को तो 40 साल तक कंपटीशन देना ही है।
अर्थात विवाह बिहू शिक्षा के कारण आज भारत में सबसे ज्यादा बेरोजगारी फैली हुई है

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