जब गाय बंद कर देती हैं दूध देना तब गड्ढे में धकेल कर भूखा मरने छोड़ देते हैं लोग

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पौड़ी जिले के पाबो ब्लॉक से करीब छह किलोमीटर दूर इठुड से आगे पन्यारा पुल के पास नदी पार जंगलों से घिरी एक चट्टान है। इसी चट्टान से लोग गायों और दूसरे गोवंशों को नीचे धकेल देते हैं। नीचे गहरी खाई में गिरी गायों के लिए बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं हैं।
यही कारण है कि आसपास के कई गांवों के लोग दूध न देने पर अपनी गायों को चट्टान से इसी खाई में धकेल देते हैं। खाई में अभी 5 जिंदा गाय और 2 बैल मौजूद हैं। कुछ दिन बाद ये गौवंश या तो भूख से तड़प-तड़पकर मर जाएंगे या इन्हे बाघ अपना निवाला बना लेगा। गहरी खाई में पड़े कुछ गौवंश के कंकाल पूरी कहानी बयां कर रहे हैं।
गाय की सुरक्षा को लेकर पूरे देश में माहौल गर्म है। तमाम सरकारें गायों को बचाने की मुहिम छेड़े हुए हैं। गाय और गोवंश महफूज रह सकें इसके लिए नियम कानून सख्त कर दिए गए हैं। यहां तक की उत्तराखंड हाईकोर्ट ने खुद को राज्य में गायों का कानूनी संरक्षक भी घोषित कर दिया है लेकिन उसी उत्तराखंड में गायों के साथ क्रूरता का ऐसा खेल खेला जा रहा है कि कानों पर यकीन न हो।
पौड़ी गढ़वाल के पाबो ब्लॉक के कुछ गायों में दूध न देने वाली गायों को खाई में जिंदा धकेल दिया जाता है। जहां जिंदा बचने पर या तो वो भूख से मर जाती हैं या फिर बाघ और अन्य जंगली जानवरों का शिकार बन जाती है। हैरानी की बात ये है कि इस इंसानी क्रूरता पर अभी तक सरकारी तंत्र की कोई निगाह ही नहीं पड़ी है।
स्थानीय निवासी लक्ष्मण रावत बताते हैं की दूध न देने पर कुछ लोग पहाड़ी से गायों को नीचे गिरा देते हैं। इस संबंध में पास के ही कण्डेरी गांव के प्रधान पति सतेंद्र सिंह से बातचीत की गई तो उन्होंने माना कि उन्हे भी कुछ समय पहले ही इस मामले का पता चला है। बताया जाता है कि
जब से गोवध पर प्रतिबंध लगा है तब से ग्रामीण दूध न देने वाली गायों को कसाईयों को नहीं बेच पाते ऐसे में बोझ बनने वाली गायों को खाई में धकेलकर वह छुटकारा पा लेते हैं। खास बात ये है कि उत्तराखंड में गायों की दुर्दशा पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कुछ दिन पहले राज्य की हाईकोर्ट ने खुद को गायों का कानूनी संरक्षक घोषित कर दिया था। ऐसे में राज्य के बाशिंदों का गाय के प्रति यह रवैया कई सवाल खड़े कर देता है।
कंडेरी गांव निवासी युवक विक्रम सिंह रावत की दादी का कुछ दिनों पहले देहांत हो गया था। उनके अंतिम संस्कार के लिए वह जंगल के रास्तों से होकर गुजरे। इसी दौरान उनकी निगाह खाई में मृतप्राय हो चुकी गायों पर पड़ी। अंतिम संस्कार के बाद वह साथियों के साथ गाय को निकालने पहुंचे लेकिन काफी प्रयास के बाद भी सफल नहीं हो सके।
इसके बाद उन्होंने इस पूरे मामले को अपनी वीडियो में कैद कर लिया। इस इलाके में नजदीकी इठुड, सन्यूं, मासौं, कण्डेरी, पाबौ बाजार, सासपांग, थापली, चैड, सीकू आदि गांव हैं। हालांकि अभी तक यह पता नहीं लगा है कि गायों से क्रूरता का यह खेल किस किस गांव में चल रहा है।
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इस मामले में जब पौड़ी जिलाधिकारी सुशील कुमार से बात की गई तो उन्होंने इसे गंभीर मामला बताते हुए शीघ्र कार्रवाई की बात कही। वहीं पौड़ी के विधायक मुकेश सिंह कोली को फोन पर जानकारी दी गई, लेकिन इस संबंध में पूरी बात नहीं हो पाई।

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