यहां महिलाएं करती हैं कई शादियां और मर्द बनते है घरजमाई

0
खासी जनजाति की महिलाएं कई पुरुषों से शादी कर सकती हैं. हाल के सालों में यहां कई पुरुषों ने इस प्रथा में बदलाव लाने की मांग की है. उनका कहना है कि वे महिलाओं को नीचा नहीं करना चाहते, बल्कि बराबरी का हक मांग रहे हैं. इस जनजाति में परिवार के तमाम फैसले भी महिलाओं द्वारा लिए जाते हैं.
मेघालय की खासी जनजाति में बेटियों को ऊंचा दर्जा दिया जाता है. लड़की के जन्म पर यहां जश्न मनाया जाता है, जबकि लड़के का पैदा होना बुरा माना जाता है. इस जनजाति में कई ऐसी परम्पराएं हैं, जो आम भारतीय संस्कृति से बिल्कुल उलट हैं.
यहां शादी के बाद लड़कियों की जगह लड़कों की विदाई की जाती है. लड़कियां अपने मां-बाप के साथ ही रहती हैं, लेकिन लड़के अपना घर छोड़ घरजमाई बनकर रहते हैं. लड़कियां ही धन और दौलत की वारिस होती हैं.
इसके अलावा यहां के बाजार और दुकानों पर भी महिलाएं ही काम करती हैं. बच्चों का उपनाम भी मां के नाम पर ही होता है. खासी समुदाय में सबसे छोटी बेटी को विरासत का सबसे ज्यादा हिस्सा मिलता है. इस कारण, उसी को माता-पिता, अविवाहित भाई-बहनों और संपत्ति की देखभाल भी करनी पड़ती है.
छोटी बेटी को खातडुह कहा जाता है. उसका घर हर रिश्तेदार के लिए खुला रहता है. इस समुदाय में लड़कियां बचपन में जानवरों के अंगों से खेलती हैं और उनका इस्तेमाल आभूषण के रूप में भी करती हैं.
करीब 10 लाख लोगों का वंश महिलाओं के आधार पर चलता है. यहां तक कि किसी परिवार में कोई बेटी नहीं है, तो उसे एक बच्ची को गोद लेना पड़ता है, ताकि वह वारिस बन सके. नियमों के मुताबिक, संपत्ति बेटे को नहीं दी जा सकती है. गौरतलब है कि
यह भी पढ़ें: जानिये; मील के पत्थरों के इन रंगों का क्या मतलब होता है?
पुरुषों ने इस समाज में अपने अधिकारों के लिए 1960 के आसपास जंग शुरू की. लेकिन उसी वक्त खासी जाति की महिलाओं ने एक विशाल सशस्त्र प्रदर्शन किया, जिसके बाद पुरुषों का विरोध ठंडा पड़ गया.

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More