राजनीति physics सिद्धान्तों पर नहीं चलती है, बल्कि chemistry के रिएक्शन पे चलती है: अमित शाह

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नई दिल्ली। जागरण फोरम के समापन सत्र के दौरान पूछे गए एक सवाल के जबाव में अमित शाह ने साफ कर दिया है कि अगला लोकसभा चुनाव भाजपा विकास और राम मंदिर किसी भी मुद्दे पर लड़ने को तैयार है।
यह विपक्ष को तय करना है कि वह किस मुद्दे पर भाजपा का सामना कर सकती है। शाह के अनुसार, पिछले साढ़े चार सालों के कार्यकाल में मोदी सरकार ने विकास के हर मोर्चे पर बड़ी लकीर खींची है और
मूलभूत सुविधाओं को करोड़ों वंचित जनता तक पहुंचाने का भगीरथ काम है। उसके जवाब में विपक्ष के पास विकास को लेकर दिखाने के लिए कुछ नहीं है। शौचालय, मुफ्त आवास, मुफ्त बिजली कनेक्शन, मुफ्त गैस कनेक्शन
जैसी योजनाओं का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि मोदी सरकार इन योजनाओं से 22 करोड़ परिवारों को सीधा लाभ मिला है। वहीं राम मंदिर को लेकर
भाजपा अब भी अपने पुराने रुख पर कायम है कि अयोध्या में जल्द-से-जल्द भव्य राममंदिर बनना चाहिए। लेकिन विपक्ष को राम मंदिर पर बोलने का कोई हक ही नहीं है।
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव खत्म होने के साथ ही भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने 2019 के महासंग्राम की लाइन तय कर दी है। देश में सबसे अधिक राजनीतिक दौरा करने वाले नेता के रूप में अनुभव को साझा करते हुए अमित शाह ने कहा कि
2019 में आम जनता को मजबूर और मजबूत सरकार के बीच चुनाव करना होगा। मोदी सरकार के खिलाफ तैयार किये जा रहे महागठबंधन को ढकोसला बताते हुए शाह ने कहा कि राजनीति फिजिक्स सिद्धान्तों पर नहीं चलती है, बल्कि केमेस्ट्री के रिएक्शन की होती है, जिसका अहसास इस बार विपक्ष को भी होगा।
कपिल सिब्बल के सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मामले की सुनवाई 2019 के चुनाव के बाद कराने की दलील का हवाला देते हुए शाह ने कहा कि विपक्ष हमेशा से इस मामले को चुनावी फायदे नुकसान के आइने से देखती रही है।
जबकि भाजपा हमेशा चाहती है कि सुप्रीम कोर्ट से हो या फिर बातचीत से फैसला तत्काल होना चाहिए। लेकिन उन्होंने भाजपा सांसदों को संसद की शीतकालीन सत्र में उपस्थिति की अनिवार्यता के निर्देश को राम मंदिर से जोड़े जाने से इनकार कर दिया।
उन्होंने साफ कर दिया किया कि यह रूटीन का निर्देश है और इसका संसद में राम मंदिर पर विधेयक लाने से कोई लेना-देना नहीं है। यही नहीं, उन्होंने यह भी साफ किया कि राम मंदिर पर संसद में विधेयक लाने के मामले पर भाजपा ने कोई फैसला ही नहीं लिया है।
महागठबंधन को लेकर चल रही अटकलों पर प्रतिक्रिया जताते हुए खुले दिल से स्वीकार भी किया कि उत्तर प्रदेश में इसका असर दिखेगा। लेकिन बाकी पूरे देश यह ढकोसला से ज्यादा कुछ नहीं है।
शाह के अनुसार महागठबंधन में शामिल सभी क्षेत्रीय दलों को भाजपा उनके गढ़ों में अलग-अलग पछाड़ चुकी है और अपने क्षेत्र के बाहर उनका प्रभाव नगण्य है। शाह ने तत्काल यह भी साफ कर दिया कि
सपा-बसपा के महागठबंधन को परास्त करना भाजपा के लिए बहुत मुश्किल नहीं रह गया है। उनके अनुसार विपक्ष फिजिक्स के सिद्धांतों की तरह गठजोड़ कर जीत का आंकड़ा जुटाने की कोशिश कर रहा है।
लेकिन भाजपा के के लिए राजनीति कमेस्ट्री की तरह से जिससे जीत की नई चीज निकल सकती है। आंकड़ों के सहारे उन्होंने बताया कि 2014 के बाद उत्तर प्रदेश में अब तक हुए सभी चुनावों में भाजपा 45-46 फीसदी वोट पाती रही है।
इसमें सिर्फ 5-6 फीसदी वोट का इजाफा करना है। एक बार 51 फीसदी पहुंच जाने के बाद भाजपा यहां अपराजेय हो जाएगी। शाह के अनुसार अगले लोकसभा चुनाव का एजेंडा खुद महागठबंधन में शामिल होने जा रही मायावती ने तय कर दिया है।
शाह के अनुसार मायावती ने केंद्र में अगली मजबूर सरकार की इच्छा जताई है। दूसरी ओर प्रधानमंत्री मोदी ने आजादी के बाद देश को सबसे मजबूत सरकार दी है, जिसकी धाक पूरी दुनिया में सुनी जा रही है।
70 साल बनाम साढ़े चाल के मुहावरे में वाजपेयी सरकार की उपलब्धियां खोने के सवाल का जवाब देते हुए शाह ने कहा कि गरीबों के लिए जिस स्केल पर वाजपेयी और मोदी सरकार ने काम किया, वह पहले कभी नहीं हुआ था।
पहले टुकड़ों में काम होते थे, भाजपा ने उसे संपूर्णता में करके दिखाया। अमित शाह ने घुसपैठियों के खिलाफ एनआरसी का समर्थन करते हुए साफ किया कि यह देश कोई धर्मशाला नहीं है कि कोई भी यहां आकर रहने लगे।
उन्होंने कहा कि देश में घुसपैठियों की पहचान और वापस निकालने की लंबी प्रक्रिया को देखते हुए सरकार उनके घुसपैठ नहीं होने देने का पुख्ता इंतजाम करने में जुटी है।
एनआरसी पर आगे बढ़ना चाहिए और घुसपैठियों को बाहर करना चाहते हैं। हमें बार्डर के मोर्चे पर काम करना चाहिए। बंगाल में बीजेपी की सरकार बनेगी, तब घुसपैठियों को रोकेंगे।
आप हमारी आवाज को रोक नहीं सकते हैं। बंगाल के गांव-2 तक जाएंगे, बंगाल की जनता वहां की सरकार के खिलाफ है।
देश की अर्थव्यवस्था को स्ट्रीमलाइन करने का एक सफल प्रयास था नोटबंदी। नोटबंदी के बाद सारा पैसा सिस्टम आया है, बेईमानों को पकड़ गया है।
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बेनामी संपत्ति का कानून बनाया गया है। लोगों को अच्छे लगें ऐसे फैसले नहीं लिए, जनता के अच्छे के लिए फैसले लिए। देश की समस्याओं के समाधान के लिए सरकार में आए हैं।

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