महिला आरक्षण पर राहुल गांधी ने कांग्रेस और गठबंधन सरकारों को लिखी चिट्ठी, दिए सुझाव

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राहुल गांधी ने 6 दिसंबर को लिखे खत में अपनी पार्टी और गठबंधन के मुख्यमंत्रियों से कहा है कि भारतीय महिलाओं ने जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों में बेहतरीन प्रदर्शन किया है और अहम जिम्मेदारी निभाई है लेकिन आज भी लोकसभा और विधान सभाओं में उनका प्रतिनिधित्व बहुत कम है।
जब तक इन लोकतांत्रिक संस्थाओं में उनका प्रतिनिधित्व नहीं बढ़ता, तब तक उनका सच्चे मायनों में सशक्तिकरण नहीं हो सकता। राहुल ने लिखा है कि महिलाओं की संसदीय भागीदारी में भारत का स्थान दुनियाभर के 193 देशों में 148वां है।
विधान सभाओं में तो स्थितियां और बदतर हैं। संसदीय परंपरा और लोकतांत्रिक व्यवस्था में महिलाओं की पर्याप्त मौजूदगी नहीं होना उनके साथ व्यवस्थागत अन्याय है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आगामी लोकसभा और विधान सभा चुनावों में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण दिलाने के मकसद से नया दांव चला है। उन्होंने कांग्रेस और कांग्रेस गठबंधन शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर विधान सभा के आगामी शीतकालीन सत्र में इस बावत प्रस्ताव पास कराने को कहा है।
इससे पहले इसी साल जुलाई में मानसून सत्र से पहले राहुल गांधी ने संसद में महिला आरक्षण बिल पर मोदी सरकार को समर्थन देने संबधी पत्र लिखा था। इसके जवाब में सरकार की तरफ से कहा गया था कि पहले कांग्रेस तीन तलाक़ के मुद्दे पर समर्थन दे। बता दें कि लंबे समय से महिला आरक्षण का बिल लंबित पड़ा हुआ है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने लिखा है कि महिला आरक्षण से जुड़ा 108वां संविधान संशोधन बिल 2010 में राज्यसभा में पास हुआ था लेकिन जब तक कि यह कानून बनता साल 2014 में 15वीं लोकसभा के विघटन के साथ ही संशोधन बिल लटक गया।
उन्होंने लिखा है कि महिला आरक्षण बिल के पक्ष में खड़ा होने के मकसद से आगामी सत्र में विधान सभा से एक प्रस्ताव पास कराएं जिसमें लोक सभा और विधान सभा के एक तिहाई पद महिलाओं के लिए आरक्षित करने का प्रावधान हो।
पत्र में यह भी लिखा गया है कि महिला कांग्रेस अध्यक्ष सुष्मिता देव की तरफ से 23 नवंबर, 2018 को इस बाबत विस्तृत पत्र लिखा जा चुका है।
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बता दें कि ओडिशा और आंध्र प्रदेश विधानसभा पहले ही महिला आरक्षण से जुड़ा प्रस्ताव पारित कर चुका है और लोकसभा और विधान सभा चुनावों में एक तिहाई पद महिलाओं के लिए आरक्षित करने का प्रस्ताव रखा है।

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