रायपुर. शुरुआती रुझानों में भाजपा 30 और कांग्रेस 42 सीटों पर आगे है। आज आने वाले नतीजे तय करेंगे कि क्या मुख्यमंत्री रमन सिंह चौथी बार मुख्यमंत्री बनेंगे या
राज्य के कुल चार विधानसभा चुनावों में यह पहला मौका होगा जब कांग्रेस सरकार बनाएगी।
भाजपा-कांग्रेस, दोनों के लिए राह इसलिए नहीं रही क्योंकि राज्य में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला रहा। कांग्रेस से अलग हुए अजीत जोगी ने जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ बनाई और
बसपा से गठबंधन कर लिया। राज्य में 12 नवंबर और 20 नवंबर को दो चरणों में मतदान हुआ था। कुल 76.35% वोटिंग हुई थी।
इस बार अजीत जोगी और मायावती के गठबंधन से 30 से ज्यादा सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले के समीकरण बने।
एग्जिट पोल्स में जनता कांग्रेस और बसपा को 3 से 8 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया था।
राज्य में इकलौते गैर-भाजपाई मुख्यमंत्री डॉ. अजीत जोगी रहे हैं। तब वे कांग्रेस में थे। हालांकि, 2013 का चुनाव हारने के बाद उन्होंने 2016 में कांग्रेस से इस्तीफा दिया और
नई पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ बनाई। इस बार उन्होंने बसपा से गठबंधन किया है।
बसपा का पिछले तीन चुनाव में 4 से 6 फीसदी के बीच वोट शेयर रहा है।
रमन सिंह सबसे लंबे समय तक सीएम रहने वाले भाजपा नेता
कितने साल |
कब से कब तक |
|
रमन सिंह |
15 |
7 दिसंबर 2003 से अब तक |
शिवराज सिंह चौहान |
13 |
29 नवंबर 2005 से अब तक |
नरेंद्र मोदी |
12 |
7 अक्टूबर 2001 से 22 मई 2014 तक |
रमन सिंह पहली बार 2003 में मुख्यमंत्री बने थे। इसके बाद उन्हीं के नेतृत्व में भाजपा ने 2008 और 2013 में चुनाव जीता था। उन्होंने पहली बार 7 दिसंबर 2003 को मुख्यमंत्री के तौर पर कार्यभार संभाला था |
भाजपा ने तीन बार के मुख्यमंत्री रमन सिंह के चेहरे पर चुनाव लड़ा। कांग्रेस ने किसी भी नेता का नाम आगे नहीं किया। हालांकि, इस दौड़ में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल और
पार्टी नेता टीएस सिंह जूदेव व चरण दास महंत भी हैं। इनके अलावा कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष रामदयाल उइके,
डॉक्टर शिव डहरिया और पूर्व नेता प्रतिपक्ष रविंद्र चौबे के नाम की भी चर्चा रही।
एक नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ को मध्यप्रदेश से अलग कर नए राज्य का दर्जा मिला था। इससे पहले अविभाजित
मध्यप्रदेश में आपातकाल के बाद कांग्रेस को छह में से चार 1980, 1985, 1993 और 1998 के चुनाव में जीत मिली थी।
चारों चुनाव में छत्तीसगढ़ इलाके की जनता ने कांग्रेस को बढ़त दिलाने में मदद की थी। यहां की 90 में से 1980 में 77, 1985 में 74, 1993 में 54 और 1998 में 48 सीटें कांग्रेस को मिली थीं।
पिछले तीन चुनावों की स्थिति
कुल सीटें 90 (एससी 10, एसटी 29, सामान्य 51)
बहुमत : 46
दल |
2013 |
2008 |
2003 |
भाजपा |
49 (42.3%) |
50 (43.3%) |
50 (39.3%) |
कांग्रेस |
39 (41.6%) |
38 (38.6%) |
37 ( 36.7) |
बसपा |
2 (4.4%) |
2 (6.1%) |
1 (4.4%) |
अन्य |
1 (5.5) |
– |
1 (7%) 0 |
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 10 ( 49.7% वोट शेयर) और कांग्रेस ( 39.1% वोट शेयर) को एक सीट मिली थी। |