पत्रकार पर पीएम मोदी के खिलाफ पोस्‍ट करने पर लगा था एनएसए, भेज दिया गया जेल

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मणिपुर: पिछले महीने पत्रकार वांगखेम ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की जयंती पर एक वीडियो अपलोड किया था, जिसमें मणिपुर के भाजपा सरकार की आलोचना की गई थी। कथित तौर पर मुख्यमंत्री के खिलाफ भी अपमानजनक टिप्पणी की गई थी।
पत्रकार ने अंंग्रेजी और मेइती भाषा में कई वीडियो अपलोड किए थे। इस वीडियो के माध्यम से वांगखेम ने कहा था, “मैं दुखी और हैरान हूं कि मणिपुर की सरकार लक्ष्मीबाई की जयंती (19 नवंबर को) मना रही है। मुख्यमंत्री यह दावा करते हैं कि
भारत को एकता के सूत्र में पिराने में झांसी की रानी का योगदान था। लेकिन, मणिपुर के लिए उन्होंने कुछ नहीं किया। आप ऐसा सिर्फ इसलिए कर रहे हैं कि केंद्र सरकार ने आपको इसके लिए कहा है।”
इसके साथ ही पत्रकार ने अपने वीडियो में यह भी कहा, “धोखा मत करो। मणिपुर के स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान मत करो। राज्य की जनता का अपमान मत करो। आप हिंदुत्व की कठपुतली हो।” इसके साथ ही पत्रकार ने पीएम नरेंद्र मोदी और मणिपुर के सीएम के लिए कथित तौर पर अपमानजनक शब्दों का भी इस्तेमाल किया।
मणिपुर के पत्रकार किशोरचंद्र वांगखेम को पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा और मणिपुर के सीएम एन बिरेन सिंह के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उनके ऊपर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
अब उन्हें एक साल तक हिरासत में रहना पड़ेगा। सूत्रों ने बताया कि 11 दिसंबर को एनएसए रिव्यू बोर्ड को आर्डर मिला और 13 दिसंबर की रिपोर्ट में कहा गया कि वांगखेम को 12 महिनों तक हिरासत में रहना चाहिए। हालांकि, इस ऑर्डर पर पत्रकार के वकील ने कहा कि वे इसके खिलाफ कोर्ट में अपील करेंगे।
इसके बाद पत्रकार को 20 नवंबर को गिरफ्तार कर लिया गया था। हालांकि, 26 नवंबर को वेस्ट इंफाल स्थित सीजेएम कोर्ट द्वारा उन्हें 70 हजार के बॉन्ड पर जमानत दे दी गई। कोर्ट ने जमानत देते हुए कहा, “पत्रकार की टिप्पणी भारत के प्रधानमंत्री और मणिपुर के मुख्यमंत्री के खिलाफ अपने विचार की अभिव्यक्ति थी और इसे राजद्रोह नहीं बताया जा सकता।
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इसके बावजूद अगले दिन 27 नवंबर को उन्हें फिर से एनएसए के तहत गिरफ्तार कर लिया गया और जेल भेज दिया गया। इस बार वेस्ट इंफाल के जिला न्यायाधीश ने एक नया ऑर्डर जारी करते हुए कहा था, “अगले आदेश तक पत्रकार को एनएसए 1980 के सेक्शन 3(2) के तहत हिरासत में रखना चाहिए।” अब नए आदेश में कहा गया है कि पत्रकार को 12 महीनों तक हिरासत में रहना होगा।

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