पृथ्वीराज चव्हाण का साथ नसीरुद्दीन शाह को मिला कहा- धर्मनिरपेक्ष लोग डर के माहौल में जी रहे

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महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि शाह की बातों में दम है और इन पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बुलंदशहर में भीड़ द्वारा की गई हिंसा की घटना और पांच राज्यों में हाल ही में हुए
विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयानों से स्पष्ट हो गया है कि भाजपा धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण करना चाहती है। भाजपा को ये एहसास हो गया है कि जनता से उसकी वादाखिलाफी उसे चुनावों में महंगी पड़नी वाली है।
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में हुई हिंसा पर नसीरुद्दीन शाह का बयान काफी तूल पकड़ रहा है। सोशल मीडिया पर कुछ उनके बयान का समर्थन कर रहे हैं तो वहीं कुछ उनके इस बयान का जमकर विरोध कर रहे हैं। ऐसे में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने नसीरुद्दीन का साथ देते हुए भाजपा पर हमला किया। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण के लिए भाजपा की कोशिशों से धर्मनिरपेक्ष लोग डर के माहौल में जी रहे हैं।
इसके साथ ही चव्हाण ने कहा कि भारत के धर्मनिरपेक्ष लोग डर के माहौल में जी रहे हैं। अगर आगामी लोकसभा चुनावों में नरेन्द्र मोदी सरकार फिर से सत्ता में आ गई तो हमें डर है कि देश में न तो संविधान बचेगा और न ही जनतंत्र।
नसीरुद्दी शाह ने कहा था कि जहर फैलाया जा चुका है और अब इसे रोकना मुश्किल होगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस जिन्न को फिरसे बोतल में बंद करना मुश्किल होगा। जो कानून को अपने हाथों में ले रहे हैं, उन्हे खुली छूट दे दी गई है। कई क्षेत्रों में हम ये तक देख रहे हैं कि
एक गाय की मौत को एक पुलिस अधिकारी की मौत से ज्यादा तवज्जो दी गई। मैं अपने बच्चों के लिए चिंतित हूं क्योंकि कल को अगर भीड़ उन्हें घेरकर पूछती है कि तुम हिंदू हो या मुसलमान? तो उनके पास इसका कोई जवाब नहीं होगा। ये मुझे चिंतित करता है और मुझे नहीं लगता कि इन हालात में जल्द कोई सुधार होगा।
बता दें कि नसीरुद्दीन शाह की पत्नी रत्ना पाठक हैं। ऐसे में शाह ने ये फैसला लिया है कि वो अपने बच्चों इमाद और विवान को धार्मिक शिक्षा नहीं देंगे, क्योंकि उनका ऐसा मानना है कि अच्छा या खराब होने का किसी धर्म से कोई लेना देना नहीं है।
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हालांकि हमने बच्चों को अच्छे और बुरे में फर्क बताया है, जिसमें हमारा विश्वास है। मैंने उन्हें कुरान शरीफ की कुछ आयतें पढ़ना भी सिखाया है क्योंकि मेरा मानना है कि इससे उच्चारण साफ होता है। ये वैसे ही है जैसे रामायण या महाभारत को पढ़ने से किसी का उच्चारण सुधरता है।

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