टाटा स्‍टील को दी गई जमीन किसानों को मिलेगी वापस: भूपेश बघेल

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देश में यह पहला मामला है, जहां उद्योग के लिए अधिग्रहित जमीन किसानों को वापस दिलाई जा रही है। सीएम बघेल ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे जमीन वापसी संबंधी प्रस्ताव तैयार करें, जिसे कैबिनेट की बैठक में पेश किया जाएगा। सीएम के निर्देश के बाद 2008 में अधिग्रहित जमीन को वापस करने की कवायद शुरू हो चुकी है।
गौरतलब है कि बस्तर प्रवास के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोहांडीगुड़ा क्षेत्र के किसानों से वादा किया था कि उनकी अधिग्रहित जमीन वापस दिलाई जाएगी। इसके अलावा पार्टी ने अपने जन-घोषणापत्र में प्रदेश के किसानों से कहा था कि ऐसी जमीन, जिन पर अधिग्रहण के पांच साल तक कोई परियोजना स्थापित नहीं की गई, किसानों को वापस दिलाई जाएगी।
2005 में तत्कालीन बीजेपी सरकार ने 19500 करोड़ रुपए में बनने वाले टाटा स्टील प्लांट के लिए एक प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए थे। इसके तहत बस्तर जिले के लोहंडीगुड़ा ब्लॉक के 10 गांवों कुम्हली, छिंदगांव, बेलियापाल, बडांजी, दाबपाल, बड़ेपरोदा, बेलर और सिरिसगुड़ा और टाकरागुड़ा की जमीन 2008 में अधिग्रहित हुई थी। अधिग्रहित की गई कुल जमीन 1764 हेक्टेयर थी।
टाटा स्टील प्लांट के लिए जमीन अधिग्रहण के दौरान किसानों ने काफी विरोध किया था। इसके चलते कई बार आंदोलन भी हुए। वहीं, नक्सलियों ने एक जनप्रतिनिधि की हत्या भी कर दी थी। इसके बावजूद जमीन का अवॉर्ड पारित हुआ। वहीं, 1707 में से 1165 किसानों को मुआवजा दे दिया गया।
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जमीन अधिग्रहण फरवरी 2008 से दिसंबर 2008 तक किया गया। इसके बाद टाटा यहां उद्योग नहीं लगा पाया। ऐसे में किसान अपनी जमीन पर खेती करते रहे। 2 साल पहले टाटा ने उद्योग खोलने से इनकार कर दिया। ऐसे में किसान अपनी जमीन वापस दिलाने की मांग कर रहे थे।

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